ब्रिटेन और भारत 2025 की शुरुआत में FTA वार्ता फिर से शुरू करेंगे






ब्रिटेन और भारत के बीच मुक्त व्यापार समझौते (Free Trade Agreement - FTA) पर वार्ता 2025 की शुरुआत में फिर से शुरू किए जाने की संभावना है। यह वार्ता दोनों देशों के आर्थिक और व्यापारिक संबंधों को और मजबूत करने के लिए की जा रही है।

FTA वार्ता का पृष्ठभूमि:

  1. प्रारंभिक वार्ता: भारत और ब्रिटेन ने FTA पर बातचीत 2021 में शुरू की थी, जिसमें दोनों देशों के बीच व्यापार और निवेश बढ़ाने पर जोर दिया गया था।
  2. अधूरी वार्ताएं: कई मुद्दों पर सहमति न बनने के कारण बातचीत अब तक पूरी नहीं हो सकी है। इनमें कृषि, सेवा क्षेत्र, बौद्धिक संपदा अधिकार, और बाजार पहुंच जैसे संवेदनशील क्षेत्र शामिल हैं।
  3. ब्रेक्सिट का प्रभाव: ब्रिटेन के यूरोपीय संघ से अलग होने के बाद, वह नए व्यापारिक साझेदारों के साथ समझौते करने की कोशिश कर रहा है, जिसमें भारत एक महत्वपूर्ण भागीदार है।

भारत-ब्रिटेन व्यापार संबंध:

  • व्यापार का वर्तमान स्तर: 2022-23 में भारत और ब्रिटेन के बीच व्यापार लगभग $20 बिलियन का था।
  • मुख्य निर्यात: भारत से ब्रिटेन को कपड़े, वाहन, दवाएं, और आईटी सेवाएं निर्यात होती हैं।
  • मुख्य आयात: ब्रिटेन से भारत को मशीनरी, इलेक्ट्रॉनिक्स, और उच्च तकनीक वाले उत्पाद आयात होते हैं।

वार्ता फिर से शुरू होने के कारण:

  1. आर्थिक सहयोग को प्रोत्साहन: दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाएं वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच मजबूत साझेदारी की तलाश में हैं।
  2. ब्रिटेन की प्राथमिकता: ब्रेक्सिट के बाद ब्रिटेन के लिए भारत जैसे बड़े बाजार के साथ व्यापार समझौता रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है।
  3. भारत की महत्वाकांक्षा: भारत अपने "मेक इन इंडिया" और "आत्मनिर्भर भारत" अभियानों को बढ़ावा देने के लिए नए बाजारों और निवेश अवसरों को खोजना चाहता है।

FTA के संभावित लाभ:

  • शुल्क में कटौती: भारतीय वस्त्र, दवाओं, और आईटी सेवाओं पर ब्रिटेन में लगने वाले शुल्क में कमी हो सकती है।
  • ब्रिटिश निवेश को प्रोत्साहन: भारत में ब्रिटिश कंपनियों के लिए निवेश के अनुकूल माहौल बनेगा।
  • रोजगार के अवसर: दोनों देशों में व्यापार और निवेश बढ़ने से रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे।
  • आर्थिक संबंधों को बढ़ावा: यह समझौता द्विपक्षीय व्यापार को अगले 10 वर्षों में दोगुना कर सकता है।

चुनौतियां:

  • संवेदनशील मुद्दे: कृषि और सेवा क्षेत्र में व्यापार उदारीकरण पर सहमति बनाना मुश्किल हो सकता है।
  • स्थानीय उद्योगों की सुरक्षा: दोनों देशों के घरेलू उद्योगों को नुकसान से बचाने के लिए संतुलित समझौते की जरूरत होगी।

निष्कर्ष:

2025 में वार्ता के पुनः आरंभ होने से दोनों देशों के बीच FTA को अंतिम रूप देने की दिशा में प्रगति की उम्मीद है। यह समझौता भारत और ब्रिटेन के बीच व्यापारिक संबंधों में एक नया अध्याय जोड़ सकता है, बशर्ते कि दोनों पक्ष अपने-अपने संवेदनशील मुद्दों पर लचीलापन दिखाएं।

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